प्रश्न केवल भाषा का नहीं है, प्रश्न हमारे स्वाभिमान का है, राष्ट्रीय अस्मिता का है। शिकागो में पहली बार राष्ट्रीय स्वाभिमान जगाने का काम स्वामी विवेकानंद जी ने किया था। इस संदर्भ में राजगोपालाचारी जी ने कहा था- यदि स्वामी जी नहीं आये होते तो स्वतंत्रता आंदोलन की तैयारी में कुछ और विलंब हो जाता।