वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट 2025 ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई सकारात्मक संकेत दिए हैं। इस बजट में खासतौर पर मध्यम वर्ग को दी गई राहत ने व्यापक सराहना प्राप्त की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आर्थिक सर्वे के बाद की गई यह टिप्पणी कि, “मैं प्रार्थना करता हूं कि मां लक्ष्मी देश के गरीब और मध्य वर्ग पर अपनी कृपा बनाए रखें,” भी बजट की दिशा को समझने में सहायक रही। वित्त मंत्री ने 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स न लेने का ऐलान किया, जो न केवल मध्यम वर्ग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था में मांग को भी बढ़ावा मिल सकता है।
लेकिन यह राहत केवल एक पहलू है। बजट 2025 ने उन मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जिनसे देश की समग्र आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। इस बजट में जहां कई उम्मीदें प्रकट होती हैं, वहीं कुछ सुधारात्मक कदमों के जरिए यह स्पष्ट किया गया है कि भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में प्रगति हो रही है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार अगले वित्तीय वर्ष में भारत की विकास दर 6.3 से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। यह आंकड़ा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक मंदी और आंतरिक चुनौतियों के बावजूद यह दर कहीं अधिक स्थिरता की ओर इशारा करती है। इसके बावजूद, सरकार का लक्ष्य भारत को अगले दशक में 8 प्रतिशत की विकास दर हासिल करने का है, जो एक बहुत ही महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। इस दिशा में बजट 2025 ने कई महत्वपूर्ण योजनाएं पेश की हैं, जिनसे भारतीय उद्योगों, व्यापारियों और नागरिकों को प्रोत्साहन मिलेगा।
भारत के विकास के लिए 8 प्रतिशत की दर तक पहुंचना आवश्यक है, और इसके लिए आर्थिक संरचना में सुधार के लिए ठोस कदमों की जरूरत है। बजट में दी गई राहत, कर्ज की सुविधा और निवेश प्रोत्साहन की योजनाएं इस दिशा में आगे बढ़ने के संकेत देती हैं। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि वित्तीय स्थिति मजबूत रहे और उद्योगों को प्रोत्साहन मिले, जिससे आने वाले वर्षों में विकास दर को तेज किया जा सके।
भारत की दीर्घकालिक समृद्धि और आत्मनिर्भरता के लिए यह आवश्यक है कि देश के उद्योग वैश्विक प्रतिस्पर्धा में न केवल टिक सकें, बल्कि अग्रणी बनें। बजट 2025 में इस दिशा में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं। एमएसएमई के लिए अधिक सुलभ कर्ज और नए बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित करने के कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा, इन उद्योगों को विश्वस्तरीय तकनीकी सहायता और नवाचार में प्रोत्साहन दिया जाएगा, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकें।
अगर हमें भारत को एक औद्योगिक महाशक्ति बनाना है, तो एमएसएमई की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। बजट ने यह सुनिश्चित किया है कि ये उद्योग सिर्फ कर्ज तक सीमित न रहें, बल्कि इनकी उत्पादन क्षमता, उत्पाद की गुणवत्ता और लागत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए जरूरी तकनीकी उपायों पर भी जोर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप, इन उद्योगों को न केवल आर्थिक प्रगति का लाभ मिलेगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे, जो भारतीय समाज के लिए बेहद अहम हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “आत्मनिर्भर भारत” का आह्वान केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण है, जिसे बजट 2025 में पूरी तरह से स्वीकार किया गया है। आत्मनिर्भरता का मतलब सिर्फ संसाधनों का उत्पादन करना नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से सक्षम, सशक्त और संपन्न नागरिकों का निर्माण करना भी है। बजट ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास में निवेश बढ़ाना।
आत्मनिर्भरता का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि देश के नागरिक न केवल उपभोक्ता बने, बल्कि उत्पादक भी बनें। सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में दी गई प्रोत्साहन योजनाओं से यह स्पष्ट है कि सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि लोकलुभावन नीतियों से बचते हुए दीर्घकालिक विकास की ओर अग्रसर हुआ जाए। विशेष रूप से, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में बढ़ोतरी और शिक्षा के क्षेत्र में सुधारात्मक कदम देश को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के प्रयासों को बल देंगे।
बजट 2025 में सामाजिक विकास के लिए बड़ी योजनाओं का ऐलान किया गया है, जो सीधे तौर पर गरीब और वंचित वर्ग के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद करेंगी। शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में बढ़ा हुआ निवेश सुनिश्चित करता है कि देश के नागरिकों को केवल बुनियादी सुविधाएं ही नहीं मिलेंगी, बल्कि उन्हें एक आत्मनिर्भर जीवन जीने के लिए आवश्यक अवसर भी प्राप्त होंगे।
न केवल राहत योजनाओं, बल्कि रोजगार सृजन, कौशल विकास और रोजगार की दिशा में किए गए कदम भी बजट का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह संदेश भी दिया गया है कि सरकार केवल गरीबों और कमजोर वर्ग को अस्थायी सहायता नहीं, बल्कि उन्हें सशक्त बनाने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं पर ध्यान दे रही है। जब नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा, तभी पूरा देश आत्मनिर्भर बनेगा।
बजट 2025 ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई नई उम्मीदें जगा दी हैं। वित्त मंत्री ने न केवल मध्यम वर्ग को राहत दी, बल्कि उद्योगों, रोजगार, और सामाजिक विकास के लिए भी ठोस कदम उठाए हैं। यह बजट दीर्घकालिक विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में सही कदम है। सरकार ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत को न केवल आर्थिक राहत की जरूरत है, बल्कि उसे मजबूत उद्योग, बेहतर शिक्षा, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ा होने के लिए एक मजबूत आधार तैयार करना होगा।
भारत की 8 प्रतिशत की विकास दर को प्राप्त करने के लिए हमें और भी कई कदम उठाने होंगे, लेकिन बजट 2025 ने यह सुनिश्चित किया है कि देश उस दिशा में सही तरह से बढ़ रहा है। इस बजट से उत्पन्न आशाएं एक सकारात्मक भविष्य की ओर इशारा करती हैं, और यदि इन योजनाओं को सही तरीके से लागू किया गया, तो आने वाले वर्षों में भारत को एक आत्मनिर्भर, मजबूत और समृद्ध राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता।