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मोदी और नड्डा के नेतृत्व में जन स्वास्थ्य की नई दिशा – 19.05.2025 (वीर अर्जुन)

भारत के जन स्वास्थ्य तंत्र ने बीते एक दशक में जो परिवर्तन देखा है, वह केवल नीतिगत बदलावों का परिणाम नहीं, बल्कि एक समर्पित और सशक्त नेतृत्व की देन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा के संगठनात्मक कौशल और स्वास्थ्य प्रशासन में अनुभव ने मिलकर जनस्वास्थ्य को एक नई दिशा दी है। इस नेतृत्व ने देश में न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को विस्तारित किया है, बल्कि भारत को वैश्विक स्वास्थ्य मानचित्र पर भी एक निर्णायक स्थान दिलाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल से ही स्वास्थ्य क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। “सर्वे सन्तु निरामया” की भावना को साकार करने के लिए उन्होंने व्यापाक और बहुआयामी रणनीति अपनाईं। “मेक इन इंडिया” पहल के अंतर्गत देश में गुणवत्तापूर्ण और किफायती दवाओं तथा चिकित्सा उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहन मिला। परिणामस्वरूप भारत, फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में वॉल्यूम के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है।

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का फार्मा निर्यात 2.19 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया, जो 2013-14 में मात्र 90,000 करोड़ रुपये था। भारत की जेनेरिक दवाओं की वैश्विक आपूर्ति में 20% हिस्सेदारी है और भारत अब यूनिसेफ व WHO को सबसे अधिक टीकों की आपूर्ति करने वाले देशों में से एक है।

जेपी नड्डा, जो स्वयं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हैं, उन्होंने जन स्वास्थ्य की योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी संगठन क्षमता और जमीनी समझ ने स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन को गति दी। चाहे बात आयुष्मान भारत योजना की हो या जन औषधि केन्द्रों की नड्डा जी ने इन कार्यक्रमों को देश के कोने-कोने तक पहुँचाने में बड़ा योगदान दिया है।

आयुष्मान भारत, दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजना, आज करोड़ों गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है। इसके तहत हर परिवार को सालाना ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया गया है। इस योजना के प्रभाव को सशक्त बनाने में नड्डा की निगरानी और संगठन कौशल ने अहम भूमिका निभाई।

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अंतर्गत आज देशभर में 15,000 से अधिक जन औषधि केन्द्र कार्यरत हैं, जहाँ ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50% से 80% तक कम कीमत पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिल रही हैं। इन केंद्रों से प्रतिदिन 10-12 लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं। बीते एक दशक में जन-औषधि केन्द्रों से लगभग ₹6,975 करोड़ मूल्य की दवाइयाँ बेची गई हैं, जिससे देशवासियों को करीब ₹30,000 करोड़ की बचत हुई है।

यह प्रयास प्रधानमंत्री मोदी की सशक्त नीतियों के साथ-साथ, जेपी नड्डा के नेतृत्व में भाजपा संगठन के जागरूकता अभियानों का भी परिणाम है।

मोदी सरकार ने आयुष मंत्रालय को एक नई पहचान और ऊर्जा दी है। योग, आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा, होम्योपैथी – इन पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती मिली है। योग को संयुक्त राष्ट्र में मान्यता दिलवाकर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।

जेपी नड्डा के स्वास्थ्य मंत्रालय में रहते हुए ही आयुष मंत्रालय को मजबूत आधार मिला। उसके बाद, संगठन स्तर पर भी आयुष के प्रचार-प्रसार में नड्डा की भूमिका सराहनीय रही है। आज भारत से लगभग 700 मिलियन डॉलर मूल्य के आयुर्वेदिक और औषधीय उत्पादों का निर्यात होता है, जो 2014 की तुलना में दोगुना है।

कोविड-19 महामारी ने पूरे विश्व को हिला दिया, लेकिन भारत ने जिस कुशलता से इस संकट का सामना किया, वह मोदी-नड्डा नेतृत्व के संकल्प, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जनसंपर्क क्षमता का परिचायक है। भारत न केवल अपने नागरिकों को समय पर वैक्सीन उपलब्ध कराने में सफल रहा, बल्कि दुनिया के 100 से अधिक देशों को वैक्सीन की आपूर्ति कर “वैक्सीन मैत्री” के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व का परिचय दिया।

जेपी नड्डा ने भाजपा संगठन के माध्यम से “सेवा ही संगठन” अभियान चलाकर महामारी के दौरान देश के हर कोने तक राहत पहुँचाने का कार्य किया। पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं को सेवा कार्यों में जोड़ा गया, जिससे जनविश्वास और सामाजिक सहभागिता का एक उत्कृष्ट उदाहरण सामने आया।

भारत अब चिकित्सा उपकरणों के निर्माण में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। वैश्विक स्तर पर यह क्षेत्र भारत को शीर्ष 20 देशों में शामिल कर चुका है। एफडीआई के मामले में फार्मास्यूटिकल्स और मेडिकल डिवाइसेज़ क्षेत्र शीर्ष 10 सेक्टरों में से एक बन चुका है।

साल 2024 में ही इस क्षेत्र में ₹11,888 करोड़ का एफडीआई प्रवाह दर्ज हुआ है। यह निवेश न केवल तकनीकी उन्नति ला रहा है, बल्कि देश के युवाओं के लिए रोजगार और नवाचार के अवसर भी पैदा कर रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी और जेपी नड्डा के नेतृत्व ने भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को न केवल मजबूती दी है, बल्कि उसे “जन-केंद्रित” और “सुलभ” बनाया है। आज भारत का स्वास्थ्य मॉडल केवल उपचार केंद्रित नहीं, बल्कि रोकथाम और समग्र स्वास्थ्य पर आधारित है।”स्वच्छ भारत”, “फिट इंडिया”, “आहार क्रांति”, “आयुष्मान भव:” जैसे अभियानों ने समाज को एक नई सोच दी है, जहाँ स्वास्थ्य को जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा माना जा रहा है। यह सोच प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से निकली है और नड्डा जी के संगठन कौशल से जन-जन तक पहुँची है

मोदी और नड्डा के नेतृत्व में जन स्वास्थ्य की नई दिशा केवल एक सरकारी सफलता गाथा नहीं, बल्कि यह उस सोच और संकल्प का परिणाम है जो हर नागरिक को स्वस्थ, सशक्त और सम्मानित जीवन देने की चाह रखती है। प्रधानमंत्री मोदी की नीति-निर्माण क्षमता और जेपी नड्डा की संगठनात्मक क्षमता ने मिलकर भारत को एक ऐसा स्वास्थ्य मॉडल दिया है, जो आत्मनिर्भरता, समावेशिता और गुणवत्ता को एक साथ साधता है।

आने वाले समय में जब भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर होगा, तब यह जनस्वास्थ्य क्रांति उसकी सबसे मजबूत नींवों में से एक सिद्ध होगी।