श्री तरूण विजय जी ने अपने उद्बोधन की शुरूआत सभागार में उपस्थित हिन्दी प्रेमियों का अभिनंदन करके किया। उन्होंने कहा कि मैं विश्व हिन्दी परिषद के महासचिव डा. बिपिन कुमार जी का विशेष आभार प्रकट करता हूं। कैलाश मानसरोवर की आध्यात्मिक यात्रा का एक वृतांत सुनाते हुए कहा कि जब मैं तिब्बत से गुजर रहा था, तब किसी अंजान व्यक्ति ने मुझे भाई साहब कह कर पुकारा, मैं आश्चर्यचकित रह गया कि तिब्बत में हिन्दी बोलने वाला कहाँ से आ गया?