अपने संबोधन में डा. अरूण कुमार जी ने कहा कि ‘हिन्दी’ पवित्र गंगा के समान है, यह तमिल, तेलगू, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, भोजपुरी, अवधी, ब्रज, मैथिली इत्यादि सबको अपने आँचल में समेटती व समाहित करती है। ‘हिन्दी’ संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा का दर्जा शीघ्र प्राप्त करेगी, ऐसा मुझे भी विश्वास है, किन्तु पहले यह हमारे दिल की भाषा बने, अंतःकरण की भाषा बने, ऐसी मेरी कामना है।