गाँधी एक ऐसा व्यक्तित्व है जिसे समझने के लिए वैचारिकी का मजबूत होना ठीक उसी तरह आवश्यक है जैसे विज्ञान को समझने के लिए तर्क, समाज को समझने के लिए साहचर्य और संवेदना, साहित्य को समझने के लिए सृजन, राजनीति को समझने के लिए राग व विवेक, संस्कृति को समझने के लिए सद्भावना और संबंधों को समझने के लिए भावनाओं इत्यादि का होना अनिवार्य है। गाँधी के व्यक्तित्व का आयाम इतना विशाल और विहंगम है कि इसे जितने कोणों से देखें उतने ही दृष्टिकोणों का निर्माण होता है। विश्व हिंदी परिषद द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती के शुभ अवसर पर आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य आज के समय में वाद, संवाद और सन्देश के विमर्श में बहुआयामी गाँधी के व्यक्तित्व और कृतित्व को वैश्विक परिदृश्य में अवलोकित करने का विनम्र प्रयास है।