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गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नक्सलवाद के खिलाफ उठाए गए ठोस कदम – 22.02.2025 (दैनिक भास्कर)

भारत की सुरक्षा और अखंडता को बनाए रखने के लिए सरकार और सुरक्षा बलों की अथक मेहनत का परिणाम आज हमें छत्तीसगढ़ के बीजापुर में देखने को मिला, जहां 31 नक्सलियों के खात्मे के साथ सुरक्षा बलों ने एक महत्वपूर्ण विजय हासिल की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस उपलब्धि को ‘नक्सल मुक्त भारत’ की दिशा में एक बड़ी सफलता बताया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि 31 मार्च 2026 से पहले देश से नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा।

यह उपलब्धि केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं है, बल्कि सरकार की व्यापक रणनीति, दृढ़ इच्छाशक्ति और सुरक्षा बलों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। 2015 में लागू की गई ‘राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ के तहत नक्सलवाद के खिलाफ बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया गया, जिसमें सुरक्षा उपायों के साथ-साथ विकास, खुफिया तंत्र को सुदृढ़ करना, आधुनिक तकनीकों का उपयोग और स्थानीय समुदायों को मुख्यधारा में जोड़ने पर जोर दिया गया।

भारत सरकार ने सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक हथियारों, फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशनों और उन्नत खुफिया नेटवर्क से सुसज्जित कर उन्हें पहले से अधिक सक्षम बनाया है। पिछले छह वर्षों में, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 38 रह गई है। इसी अवधि में उग्रवादी हिंसा में 81% की कमी आई है, जबकि सुरक्षा बलों और नागरिकों की हताहत संख्या में 85% की गिरावट दर्ज की गई है। यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि सरकार की नीति न केवल कारगर सिद्ध हो रही है, बल्कि नक्सलवाद का जड़ से खात्मा भी सुनिश्चित कर रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, सरकार केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन क्षेत्रों में विकास को भी प्राथमिकता दी, जहां नक्सलवाद की जड़ें मजबूत थीं। सड़क निर्माण, टेलीकॉम कनेक्टिविटी, बैंकिंग सुविधाओं, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर स्थानीय जनता को मुख्यधारा में लाने के लिए कई योजनाएं चलाई गईं। पिछले पांच वर्षों में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में 2384.17 करोड़ रुपये की विशेष केंद्रीय सहायता दी गई, जिससे वहां के नागरिकों को आधारभूत सुविधाओं का लाभ मिला।

एक समय था जब युवाओं के पास रोजगार के सीमित अवसर थे, जिससे वे उग्रवादी संगठनों के चंगुल में फंस जाते थे। लेकिन आज स्थिति बदल गई है। केंद्र सरकार ने कौशल विकास, स्टार्टअप प्रोत्साहन, और आर्थिक समावेशन जैसी योजनाओं के जरिए युवाओं को एक नया भविष्य देने का कार्य किया है। इससे वे अपने क्षेत्र में ही आत्मनिर्भर बन रहे हैं और नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य जीवन धीरे-धीरे लौट रहा है।

गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नक्सलवाद से निपटने की रणनीति आक्रामक, लेकिन प्रभावी रही है। उन्होंने सुरक्षा बलों को प्रोत्साहित किया, खुफिया प्रणाली को मजबूत किया और वामपंथी उग्रवादियों के वित्तीय नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए कड़े कदम उठाए। उनकी यह नीति अब रंग ला रही है, और भारत जल्द ही नक्सलवाद के अभिशाप से मुक्त होगा।

आज जब भारत वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है, तो आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना अनिवार्य है। नक्सलवाद जैसे खतरे को जड़ से मिटाना केवल सुरक्षा का सवाल नहीं, बल्कि सामाजिक उत्थान का भी विषय है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी नागरिक या क्षेत्र विकास से वंचित न रहे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में, सरकार का यह संकल्प है कि आने वाले वर्षों में हर नागरिक को एक सुरक्षित और समृद्ध जीवन मिले। यह केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि एक विचारधारा के अंत की शुरुआत है। और यह दिन दूर नहीं जब भारत नक्सलवाद से पूर्णत: मुक्त होकर विकास और समृद्धि की नई ऊंचाइयों को छूएगा।