हिंदी का विरोध करने वाले व्यक्तियों, संस्थानों एवं राजनैतिक दलों को ’राष्ट्रविरोधी हरकत का दोषी’ कहने में मुझे तनिक भी संशय नहीं। अंग्रेज चले गए पर अंग्रेजियत छोड़ गए। सच कहूं तो मुझे बहुत तरस आती है ऐसे अंग्रेजीदां लोगों पर, इन्हें शुद्ध-शुद्ध अंग्रेजी बोलना-लिखना नहीं आता फिर भी अंग्रेजियत का बोझ ढ़ोते रहते हैं कथित रूप से संभ्रांत दिखने के लिए।