डॉ. विपिन कुमार (लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)
आज के डिजिटल युग में जहाँ तकनीक ने जीवन को सरल और सुविधाजनक बनाया है, वहीं इसके दुरुपयोग ने कई गंभीर चुनौतियाँ भी उत्पन्न कर दी हैं। व्यक्तिगत डेटा की चोरी से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों तक, साइबर अपराध एक गंभीर समस्या का रूप ले चुके हैं। ऐसे समय में सरकार द्वारा शुरू की गई आई4सी योजना एक दूरदर्शी और आवश्यक पहल के रूप में सामने आई है।
इस योजना का मूल उद्देश्य साइबर अपराधों की रोकथाम, अनुसंधान और नियंत्रण के लिए एक सशक्त और समन्वित व्यवस्था का निर्माण करना है। यह पहल व्यापक दृष्टिकोण को अपनाते हुए पूरे देश में इसके प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
कहने की आवश्यकता नहीं है कि आज भारत दूरसंचार और उससे संबंधित तकनीकों के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल है। एक समय था जब मोबाइल और इंटरनेट को सिर्फ समाज के संपन्न वर्ग का प्रतीक माना जाता था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता और आत्म-विश्वास ने इस पूर्वधारणा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। आज ये साधन हर वर्ग के लिए उपलब्ध हैं, जो कि समावेशी विकास का एक महत्वपूर्ण संकेत है।
आज कृषि व्यवस्था हो या शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र हो या ई-गवर्नेंस का विषय – हमने कठिन समय और अनगिनत बाधाओं के बावज़ूद बीते एक दशक में एक डिजिटल क्रांति का साक्षात्कार किया। इसकी व्यापकता का अनुमान इन तथ्यों से लगाया जा सकता है कि आज हमारे देश में मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं की संख्या 120 करोड़ से भी अधिक है, तो इंटरनेट ग्राहकों की संख्या 95 करोड़। वहीं, आज हमारे यहाँ पूरे विश्व का 40% रियल टाइम डिजिटल लेन-देन होता है।
आज वैश्विक स्तर पर जब कोई देश भारत के साथ साझेदारी करता है, जो उन्हें सरकार द्वारा उच्च गुणवत्ता, सामर्थ्य और किफायती समाधान का आश्वासन मिल रहा है। उन्हें निर्बाध व्यावसायिक गतिविधियों का आश्वासन मिल रहा है। यही कारण है कि आज कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने वैश्विक क्षमता केंद्रों का निर्माण हमारे देश में करना चाहती है। स्वतंत्र भारत में ऐसा पहले शायद ही कभी हुआ हो?
हम जानते हैं कि एक समावेशी, समृद्ध और सशक्त समाज के निर्माण में डिजिटल टेक्नोलॉजी की भूमिका कितनी अपरिहार्य है, लेकिन आज के समय में साइबर सुरक्षा के खतरों को भी समझना आवश्यक है। इस दिशा में भारत सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति’, ‘साइबर सुरक्षित भारत’, ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ ‘साइबर स्वच्छता केंद्र’ जैसे कई प्रयास किए गए हैं।
ऐसे में, आई4सी योजना की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह सभी संबंधित पक्षों को एक मंच पर लाती है—चाहे वे प्रशासनिक इकाइयाँ हों, तकनीकी संस्थान हों या सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ। इसके अंतर्गत एक ऐसी कार्यप्रणाली विकसित की गई है जिससे अपराधों की पहचान, रोकथाम और अनुसंधान में समन्वय स्थापित किया जा सके।
योजना के अंतर्गत स्थापित विश्लेषण इकाई उन जटिल साइबर खतरों का अध्ययन करेगी, जिनका सामना समाज और शासन दोनों को करना पड़ता है। यह इकाई समय-समय पर खतरों की जानकारी साझा करेगी और विभिन्न विशेषज्ञों के साथ विमर्श आयोजित कर रणनीति तैयार करेगी। इस पहल के लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही, गृह मंत्रालय के अधिकारी भी बधाई के पात्र हैं।
इसके अंतर्गत रिपोर्टिंग प्रणाली को सशक्त बनाया जा रहा है जिससे आम नागरिक भी साइबर अपराधों की सूचना सीधे दे सकें और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो सके। इसमें एक विशेष अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की जाएगी जो आधुनिक तकनीकों पर कार्य करेगा और उन संभावित खतरों की पहचान करेगा जिनका दुरुपयोग अपराधी कर सकते हैं। यह केन्द्र न केवल शोध करेगा बल्कि विभिन्न संस्थानों के साथ मिलकर तकनीकी समाधान भी विकसित करेगा।
साइबर अपराध से मुकाबले में तकनीक के साथ-साथ प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता भी उतनी ही है। इस दृष्टि से प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना एक दूरदर्शी कदम है। इसमें नवाचार पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे, जिससे नई पीढ़ी को प्रभावी प्रशिक्षण मिल सकेगा।
यह केन्द्र कृत्रिम अभ्यास प्रणाली के माध्यम से अभ्यास कराएगा, जिससे जमीनी स्तर पर तैयारियाँ और अधिक मजबूत होंगी।
योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि भारत अन्य देशों के साथ मिलकर काम करेगा ताकि सीमाओं से परे फैले साइबर अपराधों से प्रभावी रूप से निपटा जा सके। साथ ही, समयानुकूल विधिक बदलावों का सुझाव देकर कानूनों को अधिक व्यवहारिक बनाया जाएगा।
आई4सी योजना एक ऐसा वातावरण तैयार करने की दिशा में भी कार्य कर रही है जिसमें शिक्षा, उद्योग और शासन के सभी पक्ष एकजुट होकर कार्य कर सकें। इस प्रणाली से एक ऐसा ढाँचा विकसित होगा जो न केवल अपराधों से निपटेगा बल्कि उन्हें होने से पहले ही रोकने में सक्षम होगा।
आई4सी योजना केवल एक तकनीकी प्रयास नहीं है, यह डिजिटल युग के लिए एक संरक्षक की भूमिका निभाने वाला कदम है। यह योजना सुरक्षा, अनुसंधान, प्रशिक्षण और समन्वय को साथ लेकर चलती है, जिससे एक सुरक्षित और जागरूक समाज की नींव रखी जा सके।
आज जब तकनीक का प्रभाव समाज के हर हिस्से तक पहुँच चुका है, तो आवश्यक है कि हम उससे जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए भी संगठित और सजग रहें। आई4सी योजना इसी सोच की परिणति है—एक ऐसा प्रयास जो हमें एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर ले जाता है।