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आई4सी योजना और साइबर सुरक्षा में गृह मंत्री अमित शाह की निर्णायक भूमिका – 23.06.2025 (वीर अर्जुन)

हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ तकनीक न केवल जीवन का हिस्सा है, बल्कि उसका आधार बन चुकी है। इंटरनेट, मोबाइल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी अवधारणा अब केवल तकनीकी शब्द नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन की आवश्यकता बन गई हैं। भारत ने बीते वर्षों में डिजिटल परिवर्तन की दिशा में जो तेजी दिखाई है, वह न केवल अभूतपूर्व है, बल्कि विश्व स्तर पर भी अनुकरणीय मानी जाती है। किंतु इस डिजिटल क्रांति के साथ एक गंभीर संकट भी जन्मा है — साइबर अपराध।

डेटा चोरी, ऑनलाइन धोखाधड़ी, फर्जी पहचान, हैकिंग, राष्ट्रविरोधी डिजिटल गतिविधियाँ और डिजिटल ठगी जैसी घटनाएँ अब केवल कल्पनाएँ नहीं रहीं, बल्कि आम नागरिक की दैनिक चिंता बन चुकी हैं। ऐसे में भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत आई4सी योजना (Indian Cyber Crime Coordination Centre) एक दूरदर्शी, संगठित और समयानुकूल प्रयास के रूप में सामने आई है।भारत में आज मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या 120 करोड़ से अधिक और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 95 करोड़ के पार है। डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन, ई-गवर्नेंस और सोशल मीडिया जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स के ज़रिए भारत तेज़ी से एक डिजिटल समाज में रूपांतरित हो रहा है।

लेकिन इस तेज़ गति से आई तकनीकी स्वीकार्यता ने सुरक्षा के नए संकट भी पैदा किए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराधों में हर वर्ष दो अंकों की वृद्धि हो रही है। ऐसे में यह आवश्यक हो गया है कि भारत एक ऐसी संगठित प्रणाली विकसित करे जो न केवल इन अपराधों से लड़े, बल्कि उन्हें घटने से पहले ही रोक सके। यही दृष्टिकोण आई4सी योजना का मूल है।

आई4सी योजना को गृह मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में आरंभ किया गया। इसका उद्देश्य है साइबर अपराधों की रोकथाम, उनके अनुसंधान, विश्लेषण और नियंत्रण हेतु एक समन्वित राष्ट्रीय ढांचा तैयार करना।इस योजना को दिशा देने में गृह मंत्री श्री अमित शाह की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण रही है। उन्होंने साइबर अपराधों को केवल तकनीकी समस्या नहीं माना, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा, आंतरिक स्थायित्व और नागरिक अधिकारों से जोड़कर देखा।उनकी अगुवाई में गृह मंत्रालय ने इस योजना को राज्य और केंद्र के समन्वय, पुलिस बलों के प्रशिक्षण, और तकनीकी नवाचार के साथ जोड़ा है। वे इस बात पर बल देते हैं कि “साइबर सुरक्षा आज केवल एक आवश्यकता नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक मजबूती का अनिवार्य हिस्सा है।”

आई4सी योजना की सबसे अनोखी विशेषता इसकी जन सहभागिता आधारित सोच है। यह आम नागरिक को केवल शिकार नहीं, बल्कि साइबर प्रहरीके रूप में देखती है। योजना के तहत ऑनलाइन शिकायत, टोल-फ्री हेल्पलाइन, साइबर सुरक्षा कार्यशालाएँ, विद्यालय और महाविद्यालयों में प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसे अनेक पहलुओं को समाविष्ट किया गया है। इससे एक सजग नागरिक समाज का निर्माण संभव हो रहा है।

साइबर अपराध सीमाओं में बँधे नहीं होते। वे अंतरराष्ट्रीय होते हैं और इसी कारण भारत को भी अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होती है। आई4सी योजना के अंतर्गत भारत ने अनेक देशों के साथ समझौते किए हैं और संयुक्त अभ्यास भी प्रारंभ किए हैं।साथ ही, समय के अनुरूप आईटी अधिनियम, 2000 और अन्य कानूनों में सुधार की आवश्यकता भी महसूस की गई है। इस दिशा में गृह मंत्रालय सक्रियता से विधिक सिफारिशें कर रहा है ताकि भारत का कानून प्रणाली आधुनिक साइबर खतरों से निपटने के लिए सक्षम बन सके।

आई4सी योजना आज भारत के डिजिटल भविष्य की सुरक्षा का एक मजबूत आधार बन चुकी है। यह न केवल तकनीकी दृष्टि से उन्नत है, बल्कि सामाजिक, प्रशासनिक और वैधानिक रूप से भी संतुलित है। यह योजना एक सशक्त संदेश देती है कि भारत न केवल तकनीक का उपभोक्ता है, बल्कि उसका रक्षक और निर्माता भी बन सकता है।

जब हम ‘विकसित भारत @2047’ की ओर बढ़ रहे हैं, तो यह नितांत आवश्यक है कि हमारी डिजिटल प्रगति सुरक्षा और नैतिकता के साथ हो। आई4सी योजना उसी दिशा में एक संगठित, सजग और राष्ट्रीय सोच का प्रमाण है।

इस योजना के माध्यम से भारत न केवल साइबर अपराधों से सुरक्षित होगा, बल्कि वह विश्व पटल पर एक साइबर-सशक्त राष्ट्र के रूप में भी उभरेगा। यही इसका वास्तविक उद्देश्य और इसकी सबसे बड़ी सफलता होगी।